The Digital 24 डेस्क नई दिल्ली : मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने मंगलवार को दिल्ली के मध्यप्रदेश भवन में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्ष 2020 में जिस नई शिक्षा नीति को लागू किया है,उसका उद्देश्य भारत को एक ज्ञान आधारित समाज बनाना है। इस नीति के माध्यम से शिक्षा सर्वसुलभ और सर्वसमावेशी हुई है, जो कि व्यक्ति के समग्र विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। कांग्रेस ने शिक्षा में भी तुष्टीकरण करते हुए वामपंथीकरण किया था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू कर शिक्षा का भारतीयकरण किया। नई शिक्षा नीति संस्कार और संस्कृति से परिपूर्ण है। कमजोर वर्ग और नारी शक्ति के लिए यह वरदान साबित हो रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मध्यप्रदेश ने सर्वप्रथम लागू कर विशेष लाभ अर्जित किया है। नई शिक्षा नीति सिर्फ 'ज्ञानवान' ही नहीं 'संस्कारवान' भी बनाती है। इस नीति से भारतीय स्कूली शिक्षा के मानक अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हो गए हैं। नई शिक्षा नीति के सुखद परिणाम अब देश के शैक्षणिक परिदृश्य में आ रहे हैं, जिससे गुणात्मक और संख्यात्मक सुधार स्पोष्टग रूप से दिखाई देने लगे हैं।
नई शिक्षा नीति में जन आकांक्षाओं का प्रतिबिंब
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति लाने की प्रक्रिया प्रधानमंत्री श्री मोदी जी की सरकार बनने के बाद 2015 से शुरू हुई थी। इसके लिए समाज के बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और आम लोगों से व्यापक विचार-विमर्श किया गया। देश की ढाई लाख ग्राम पंचायतों, 6600 विकासखंड, 6000 नगरीय निकाय और प्रत्येक जिले से दो लाख से अधिक सुझाव प्राप्त किए गए। इन सुझावों और विशेषज्ञों से परामर्श के उपरांत नई शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार किया गया। इसके उपरांत 29 जुलाई, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस शिक्षा नीति को स्वीकृति प्रदान की।
बदलाव की प्रतीक्षा का हुआ अंत
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि देश की शिक्षा नीति में बदलाव की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। हम लोग भी यह मांग करते थे कि देश में चल रही मैकाले की शिक्षा नीति को बदला जाए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इसी दिशा में कदम उठाते हुए देश को नई शिक्षा नीति दी और बदलाव की दशकों पुरानी प्रतीक्षा का अंत हुआ। व्यवहारिक तौर पर इस नीति को लागू किए जाने के बाद से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव तो आए ही हैं, यह शिक्षा को सर्वसमावेशी, सर्वसुलभ और वैश्विक प्रतीस्पर्धी बनाने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करती है। श्री शर्मा ने कहा कि इस नीति का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे बदलाव करना था, जो छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा दे और देश में शिक्षा के स्तर को सुधार सके। इसका लक्ष्य शिक्षा के तंत्र को सुधारना और उसे आम भारतीय के अनुरूप बनाना है।
उन्होंने कहा कि देश में लंबे समय से मातृभाषा में शिक्षा की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। नई शिक्षा नीति में तीन भाषाओं का सिद्धांत रखा गया है, जो विद्यार्थी को हिंदी, अंग्रेजी के अलावा अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। नई शिक्षा नीति तकनीकी और डिजिटल नवाचारों का उपयोग करते हुए शिक्षा को समय के अनुकूल और विश्व स्तर पर प्रतीस्पर्धी बनाना है।
शिक्षा के क्षेत्र में हुआ विकास
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने और नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद से देश के शैक्षणिक क्षेत्र में बहुआयामी विकास हो रहा है। वर्ष 2014-15 में देश में कुल 51,534 उच्च शिक्षण संस्थाोन थे, जो 2022-23 तक 58,643 हो गए। इस तरह इन संस्थानों की संख्या में 13.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विश्वविद्यालयों की संख्या में 59.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 760 से बढ़कर 1,213 हो गए हैं। कॉलेजों की संख्या में 21.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 38,498 से बढ़कर 46,624 हो चुके हैं। श्री शर्मा ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाीन में कुल फैकल्टी सदस्यों की संख्या में 12.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2022-23 में 16.64 लाख तक पहुंच गई। विशेष रूप से, महिला फैकल्टी सदस्यों की संख्या में 29.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो समावेशी शैक्षिक कार्यबल को रेखांकित करती है। नई नीति के लागू होने के बाद से छात्रों के कुल नामांकन में भी वृद्धि हुई है। 2014-15 के शैक्षिक वर्ष में नामांकन 3.42 करोड़ थे, जो 2022-23 में बढ़कर 4.46 करोड़ हो गये। इसमें 30.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं, इस अवधि में महिला नामांकन में भी 38.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 1.57 करोड़ से 2.18 करोड़ तक पहुंच गया। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद से देश के शिक्षा जगत में हुए विकास की धमक वैश्विक स्तर पर भी सुनाई दे रही है। क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में भारतीय उच्च शिक्षण संस्था0नों की संख्या 2014 में 9 थी, जो 2025 में बढ़कर 46 हो गई है। इनमें 7 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 11 आईआईटी और 1 एनआईटी शामिल हैं। उच्च शिक्षा के लिए बजट जो वर्ष 2013-14 में 26,750 करोड़ रुपये था वो 2024-25 में बढ़कर 42,300 करोड़ रुपये हो गया है। इसमें 78 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। स्कूल शिक्षा और साक्षरता के लिए वर्ष 2024-25 में 73498 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, वह अब तक का सर्वाधिक बजट है। इसमें वर्ष 2013-14 की तुलना में 19.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
समाज के हर वर्ग तक हुई शिक्षा की पहुंच
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ी है और इसकी पहुंच समाज के अधिकांश लोगों तक हो गई है। गरीब, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों को भी सामान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके, इसकी व्यवस्था नई शिक्षा नीति में की गई है। इसमें बेटियों के लिए, दिव्यांग भाई-बहनों के लिए और यहां तक कि थर्ड जेंडर वर्ग के लिए भी अलग से व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति शिक्षा को रोजगार के साथ जोड़ती है ताकि, विद्यार्थियों को आवश्यक कौशल और ज्ञान मिल सके। उन्होंने बताया कि नई नीति में मल्टीपल एंट्री और एक्जिट के विकल्प रखे गए हैं, जिससे विश्विद्यालय के छात्र अपने लिए उपयुक्त विकल्प चुन सकते हैं। इस नीति के अंतर्गत कोई भी छात्र अब 1 साल में सर्टिफिकेट, 2 साल में डिप्लोमा और 3 साल में डिग्री प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में खेल आधारित शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
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